नेफ्रोलॉजी क्या है? What is Nephrology? हम सभी जानते हैं कि चिकित्सा विज्ञान की कई शाखाएँ हैं। नेफ्रोलॉजी भी चिकित्सा की एक शाखा है। नेफ्रोलॉजी वह शाखा है जो किडनी से संबंधित है। जिसमें किडनी से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जाता है। जब हम किडनी ऑर्गन के बारे में बात करते हैं तो हमें डायलिसिस ही उपचार का एकमात्र तरीका नजर आता है। लेकिन डायलिसिस किडनी से संबंधित एकमात्र उपचार पद्धति नहीं है बल्कि अभी भी कुछ उपचार और बीमारियाँ किडनी से संबंधित हैं। नेफ्रोलॉजी मुख्यतः क्या है? आज के ब्लॉग में हम किडनी रोग, इसके लक्षण और इसके उपचार पर नजर डालने जा रहे हैं। नेफ्रोलॉजिस्ट के पास क्यूँ जाना चाहिए? Why should you visit a Nephrologist? मानव शरीर विभिन्न घटकों से बना है। कुछ अच्छे होते हैं और कुछ बुरे, जिन्हें हम टॉक्सिन कहते हैं। जो आपके मूत्र मार्ग से निकलता है यदि मूत्र के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम ठीक से नहीं हो रहा है यानी किडनी की कार्यप्रणाली ठीक से नहीं हो रही है, तो हमें नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखाना होगा। लक्षण:- पेशाब करते समय पेट दर्द होना मांसपेशियों में तेज़ दर्द उल्टी होना भूख न लगना पैरों में सूजन. जल्दी पेशाब आना सांस लेने में दिक्क़त ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत नेफ्रोलॉजिस्ट से संपर्क करें। समय पर उपचार से अच्छे और सही निदान की संभावना बढ़ जाती है। नेफ्रोलॉजी के अनुसार किडनी रोग के लक्षण और उपचार Symptoms and Treatment of Kidney Disease According to Nephrology 1. क्रॉनिक किडनी डिजीज मतलब क्रोनिक किडनी बीमारी (Chronic kidney disease) यह लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है। यह बीमारी मुख्य रूप से मधुमेह और उच्च रक्तचाप वाले लोगों में देखी जाती है। शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखते, लेकिन उचित इलाज से समस्या ठीक हो सकती है। लक्षण:- उल्टी होना भूख में कमी पैरों और टखनों में सूजन सांस लेने में कठिनाई सोने में कठिनाई जल्दी पेशाब आना 2. गुर्दे की पथरी (kidney stones) गुर्दे की पथरी गुर्दे में नमक का जमाव है जो पेशाब करने में दर्द और दर्द का कारण बनता है। किडनी की पथरी खराब जीवनशैली, मोटापा, मधुमेह, अनियंत्रित खान-पान के कारण होती है। लक्षण:- पेशाब करते समय दर्द होना पेशाब में खून आना मूत्र मार्ग में रुकावट गुर्दे की पथरी के स्थान पर दर्द होना 3. मधुमेह से होने वाली बीमारी है (diabetes-related disease) दुनिया भर के अध्ययनों से पता चला है कि मधुमेह वाले लोगों में गुर्दे की बीमारी विकसित होती है। मधुमेह मधुमेह उन लोगों को होता है जिनका मधुमेह नियंत्रण में नहीं होता है। लक्षण:- सूजे हुए पैर पेशाब में झाग आना शारीरिक थकावट वजन कम होना शरीर पर खुजली होना उल्टी होना 4. ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप से ग्रस्त नेफ्रोस्क्लेरोसिस (Hypertensive nephrosclerosis) जिस प्रकार मधुमेह गुर्दे की बीमारी का कारण बनता है, उसी प्रकार उच्च रक्तचाप गुर्दे की बीमारी का कारण बनता है। उच्च रक्तचाप से ग्रस्त नेफ्रोस्क्लेरोसिस रोग में, उच्च रक्तचाप गुर्दे में रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे गुर्दे की कार्यप्रणाली ख़राब हो जाती है। यानी रक्त वाहिकाओं में अनावश्यक तरल पदार्थ जमा हो जाता है और रक्तचाप और बढ़ जाता है। लक्षण:- उल्टी होना चक्कर आना सुस्ती 5. यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन यानि मूत्र मार्ग में संक्रमण (Urinary tract infection) जरूरी नहीं कि मूत्र पथ का संक्रमण किडनी को प्रभावित करे। लेकिन अगर मूत्र पथ के संक्रमण का जल्दी इलाज न किया जाए तो संक्रमण किडनी तक पहुंच सकता है कैन और किडनी का कार्य ठीक से नहीं हो पाता है। इसका मुख्य लक्षण मूत्र मार्ग में जलन होना है। लक्षण:- पीठ दर्द बुखार पेशाब करते समय दर्द होना पेट में दर्द पेशाब करते समय खून आना उल्टी होना 6. पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (polycystic kidney disease) यह रोग अनुवांशिक हो सकता है। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में किडनी में ट्यूमर हो जाते हैं। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह बढ़ जाता है और किडनी फेल होने लगती है। लक्षण:- पेट के ऊपर वाले हिस्से में दर्द होना पेट के बगल में दर्द होना पीठ दर्द पेशाब में खून आना बार-बार मूत्र मार्ग में संक्रमण होना 7. आईजीए नेफ्रोपैथी (IGA Nephropathy) यह बीमारी संभवतः बचपन या किशोरावस्था में शुरू होती है। पेशाब के दौरान पेशाब में खून आना इसके लक्षणों में शामिल है। 8. किडनी फेलियर (kidney failure) किडनी की विफलता तब होती है जब किडनी की कार्यक्षमता 100% से घटकर 10% हो जाती है। इसमें 5 चरण होते हैं, पहले 4 चरण में कोई लक्षण नहीं होता है। लक्षण तभी प्रकट होने लगते हैं जब किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है। लक्षण:- भूख में कमी उल्टी करना गंभीर शारीरिक थकान शरीर में सूजन अनिद्रा नेफ्रोलॉजीस्ट से जानिए डायलिसिस क्या है? Know from nephrologist what is dialysis? हमारे रक्त से विषाक्त पदार्थों को निकालने की प्रक्रिया को डायलिसिस कहा जाता है। किडनी का मुख्य कार्य रक्त से अशुद्धियों को दूर करना है। जब किडनी प्राकृतिक रूप से यह काम नहीं कर पाती तो हमें डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। जब किडनी की कार्यप्रणाली 100% से 10% तक गिर जाती है, तो डायलिसिस की आवश्यकता होती है। नेफ्रोलॉजीस्ट से जानिए डायलिसिस के प्रकार :- दो भिन्न-भिन्न प्रकार के डायलिसिस होते है। (Nephrologist explains – there are two types of dialysis) हेमोडायलिसिस – हेमोडायलिसिस का अर्थ है रक्त का डायलिसिस। (hemodialysis) इस प्रक्रिया में शरीर से अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं। इसमें रोगी की नस में एक ट्यूब शामिल है फेंक दिया जाता है ट्यूब के एक सिरे से रक्त निकाला जाता है जो फिल्टर से होकर गुजरता है और शुद्ध रक्त दूसरे सिरे से हमारे शरीर में लौट आता है। इस प्रक्रिया में 4 से 6 घंटे लगते हैं। जिस मरीज की किडनी की कार्यक्षमता 10% से कम है उसे सप्ताह में 2-3 बार डायलिसिस कराना पड़ता है। यह डायलिसिस आमतौर पर स्थायी होता है। पेरेटोनियल डायलिसिस – पेरेटोनियल डायलिसिस का अर्थ है पानी का डायलिसिस। (peritoneal dialysis) इस प्रकार के डायलिसिस में किडनी के नीचे एक छेद किया जाता है और एक कैथेटर शरीर में डाला जाता है। इस कैथेटर के के माध्यम से एक विशेष प्रकार का 2 लीटर पानी पेट में
Hip joint ball replacement keyhole surgery mumbai
Why Choose Hip Joint Ball Replacement Keyhole Surgery in Mumbai? Limitations in accessibility and chronic pain caused by hip joint disorders can have an immense impact on an individual’s quality of life. However, Medical developments in technology have improved effectiveness and reduced the degree of incision of therapies. Among these, hip joint ball replacement keyhole surgery is an innovative method gaining popularity in Mumbai more and more. For those who have serious hip problems, this surgical operation provides better results and faster recovery. A Hip Joint Overview The hip joint is a ball-and-socket joint in which the acetabulum, the pelvic bone’s socket, accommodates the femoral head, the ball. Therefore, it is one of the largest and most important joints in the body because it supports weight and allows movement. If the hip joint is injured in any way, whether by arthritis, fractures, or other issues, it may be necessary to have surgery to replace the ball in the hip joint. What Is Keyhole Surgery for Hip Joint Ball Replacement? The ball that replaces the hip joint Keyhole surgery, also known as minimally invasive hip replacement, is a surgical procedure that involves making very small incisions in order to replace a damaged or cracked femoral head with an artificial implant. Instead of using traditional hip replacement, this operation makes use of cutting-edge tools and techniques, which not only reduces the amount of tissue damage but also improves the recovery process. Advancements in Keyhole Surgery Smaller incisions provide less stress to muscles and tissues, hence lowering post-operative pain. Patients undergoing faster recovery than with conventional surgery. Keyhole surgery gives cosmetically more beautiful smaller scars and less scarring. The exact type of operation lowers hazards like blood loss and infections. Enhanced range of motion following surgery is guaranteed by the approach. Who Should Get a Hip Joint Ball Replacement? People who have any of the following diseases may be good candidates: Osteoarthritis is when the cartilage in the hip joint wears down very quickly. Rheumatoid arthritis is an autoimmune disease that makes joints swell up. Damage to the hips that happens when someone falls or is hurt. Avascular necrosis is when bone tissue dies because it doesn’t get enough blood. Hip dysplasia is a disease in which the socket is not deep enough. Surgery Preparation Planning is very important for getting good results. Below are some factors that people should anticipate: Blood testing, imaging (including X-rays and MRIs), and physical tests are all part of the pre-operative evaluation. Consultation with an expert surgeon will help you understand the operation, its risks, and what to expect. Changes to a person’s lifestyle will make their recovery go more smoothly, patients may need to quit smoking, drink less booze, and watch their weight. Medication Changing or stopping some medicines with the help of a doctor. The Method: A Step-by-Step Introduction The surgical procedure is carried out under either general or regional anesthesia and is conducted. Small incisions, also referred to as keyholes, are made around the hip region during the surgical procedure. Specialized tools are used to remove the broken femur head when the joint is cracked up. The synthetic ball is inserted and positioned in a safe manner after the implant insertion procedure has been completed. Utilizing minimal sutures or staples, the wounds are closed off to complete the procedure. After surgery, recovery, and post-operative care 1. Immediate Recovery: Patients could start to move the joint 24 to 48 hours later. Managing pain using recommended drugs. 2. Physical therapy: Guided activities aiming at restoring strength and flexibility. Slow rise in activity levels. 3. Modifications in Behavior: Avoiding first highly impactful behaviors. As advised, make use of assistance aids such as walkers or crutches. 4. Appointments for Follow-up: Frequent visits help to track recovery and implant location. Why Choose Mumbai for Keyhole Surgery to Replace a Hip Joint Ball? You can choose hip joint ball replacement keyhole surgery in Mumbai which is known for its exceptional medical care (Ashtvinayak Multispecialty Hospital). The following are some of the reasons why Mumbai is such a very popular travel destination: Well-known medical specialists who possess a vast amount of information are referred to be skilled surgeons. The latest technology includes the newest surgery tools and methods. Giving people access to high-quality medical care at affordable prices. Comprehensive Care from the first diagnosis to the help given after surgery. Guided activities aiming at restoring strength and flexibility. Slow rise in activity levels. What makes Ashtvinayak Multispeciality Hospital the best for hip joint ball replacement? Ashtvinayak Multispecialty Hospital takes pride in providing excellent medical care. Additionally, Their expert teams consist of very talented doctors and committed assistants. The provision of individualized treatment catered to the particular needs of the patient defines the patient-centric attitude. A modern infrastructure is one that is equipped with modern technologies. In the realm of holistic healthcare, complete rehabilitation programs that facilitate a speedy recovery are included. Conclusion For people who are having major problems with their hip joints, hip joint ball replacement keyhole surgery is a new and innovative way to treat them. The many benefits of the operation and the expertise of Ashtvinayak Multispeciality Hospital will help Mumbai patients to expect to be functional again and to have a better quality of life. For a consultation, contact us now and allow us to assist you in taking the initial step toward a life free of pain.
नेफ्रोलॉजी म्हणजे काय ? (What is Nephrology?)
नेफ्रोलॉजी म्हणजे काय ? (What is Nephrology?) वैद्यकशास्त्रा मधे विविध शाखा असतात हे आपणा सर्वांनाच ठाऊक आहे. नेफ्रोलॉजी ही देखील वैद्यक शास्त्रातील एक शाखा आहे. नेफ्रोलॉजी ही शाखा मूत्रपिंड म्हणजेच किडनीशी संबंधित आहे. ज्यात किडनी सम्बंधित आजारांवर उपचार केले जातात. ज्या वेळी किडनी हा अवयव आपल्या समोर येतो त्यावेळी आपल्याला डायलिसिस ही एकच उपचार पद्धति डोळ्यांसमोर येते. पण डायलिसिस ही एकच उपचार पद्धति किडनीशी सम्बंधित नाहीए तर अजुन ही काही उपचार व आजार मूत्रपिंडाशी निगडित आहेत. मुख्यतः नेफ्रोलॉजी म्हणजे काय? मूत्रपिंडाचे आजार त्याची लक्षणे आणि त्यावरचे उपाय हेच या आजच्या ब्लॉग मधे आपण पाहणार आहोत. नेफ्रोलॉजिस्ट कड़े का जावे? (Why should a nephrologist be strict?) मानवाच्या शरीरात विविध घटक असतात. काही चांगले तर काही वाईट, जे वाईट घटक असतात त्यांना आपन टॉक्झिन्स म्हणतो. जे की आपल्या लघवी वाटे बाहेर पडतात. लघवी वाटे टॉक्सिन्स बाहेर पडण्याचे काम जर व्यवस्थितपणे पार पड़त नसेल म्हणजेच किडनीचे फंक्शनिंग व्यवस्थित होत नसेल तर आपल्याला नेफ्रोलॉजिस्ट कड़े जावे लागते. मूत्रविसर्जन करत असतानापोट दुखत असेल तर स्नायूंमध्ये तीव्र वेदना होणे मळमळ आणि उलटी होणे भूक न लागणे पायांमध्ये सूज येणे . वारंवार लघवीस होणे श्वास घेण्यास त्रास होणे अशी लक्षणे दिसून आल्यास त्वरित नेफ्रोलॉजिस्टशी संपर्क साधावा. वेळेत उपचार घेतले असता चांगले आणि योग्य निदान होण्याशी शक्यता वाढते. नेफ्रोलॉजि नुसार किडनीचे आजार लक्षणे आणि उपचार (Kidney disease symptoms and treatment according to Nephrology) १. मूत्रपिंडाचा जुनाट आजार म्हणजेच क्रॉनिक किडनी डिसीज (Chronic Kidney Disease i.e. Chronic Kidney Disease) हा एक असा आजार आहे जो दीर्घकाळ टिकतो. सामान्यपणे मधुमेह आणि हाय ब्लड प्रेशर असलेल्या लोकांमधे हा आजार प्रामुख्याने दिसून येतो. यात सुरुवातीला कोणतीच लक्षणे दिसून येत नाहीत पण योग्य उपचाराने त्रास दूर करता येतो. लक्षणे :- मळमळ आणि उलटी भूक न लागणे पाय आणि घोट्याला सूज धाप लागणे झोपायला त्रास होतो लघवी कमी-जास्त होणे २. किडनी स्टोन (Kidney stones) किडनी स्टोन म्हणजेच मुतखडा यात क्षाराचे खड़े होतात ज्यामुळे पोट दुखणे लघवीस त्रास होणे अशी याची सामान्यपणे लक्षण असतात. वाईट जीवनशैली , लठ्ठपणा , डायबिटीज , अनियंत्रित आहार यामुळे किडनी स्टोन होतो. लक्षणे :- लघवी करताना वेदना लघवी वाटे रक्त येणे मूत्रमार्गात अडथळा मुतखड्याच्या जागी वेदना ३. मधुमेह म्हणजेच डायबिटीज मुळे होणारे आजार (Diabetes is a disease caused by diabetes) जगभरात अभ्यासानुसार असे दिसून आले आहे की मधुमेह असणाऱ्या लोकाना मूत्रपिंडाचे आजार होतात. ज्या लोकांची शुगर नियंत्रणात नसते अशा लोकाना मधुमेह होतो. लक्षणे :- सुजलेले पाय लघवीतून फेस येणे शारीरिक थकवा वजन कमी होणे अंगावर खाज सुटणे मळमळ आणि उलटी ४. हायपरटेन्सिव्ह नेफ्रोस्क्लेरोसिस (Hypertensive nephrosclerosis) ज्याप्रमाणे मधुमेहामुळे किडनी चे आजार उदभवतात त्याप्रमाणेच हायब्लड प्रेशर मुळे ही किडनीचे आजार होतात. हायपरटेन्सिव्ह नेफ्रोस्क्लेरोसिस आजारामध्ये उच्च रक्तदाबामुळे किडनीतील रक्तवाहिन्या खराब होतात त्यामुळे किडनीचे कार्य खराब होते. म्हणजेच अनावश्यक द्रव रक्तवाहिन्यांमध्ये जमा होते आणि रक्तदाब आणखी वाढतो. लक्षणे :- मळमळ आणि उलटी चक्कर येणे सुस्ती येणे ५. Urinary tract infection म्हणजेच मूत्रमार्गातील संसर्ग (Urinary tract infection means urinary tract infection) Urinary tract infection म्हणजेच मूत्रमार्गातील संसर्गामुळे मूत्रपिंडावर परिणाम होतोच असे नाही. पण मूत्रमार्गात झालेला संसर्ग जर लवकर उपचाराविना राहिला तर तो संसर्ग किडनी पर्यंत पोहचू शकतो आणि किडनीचे काम व्यवस्थितपणे पार पडत नाही. यात मूलतः दिसून येणारे लक्षण म्हणजेच मुत्रमार्गात आग होणे . लक्षणे :- पाठदुखी ताप लघवी करताना वेदना पोटदुखी लघवी करताना रक्त मळमळ आणि उलटी ६. पॉलीसिस्टिक किडनी डिसीज (Polycystic kidney disease) हा आजार अनुवांशिक असू शकतो. पॉलीसिस्टिक किडनी डिसीज मधे मूत्रपिंडात गाठी होतात. यावर वेळीच उपचार केले नाहीत तर त्या वाढतात आणि किडनी निकामी होण्यास सुरुवात होते. लक्षणे :- वरच्या ओटीपोटात वेदना ओटीपोटाच्या बाजूला वेदना पाठदुखी लघवीत रक्त येणे वारंवार मूत्रमार्गात संक्रमण ७. आयजीए नेफ्रोपॅथी (IGA nephropathy) हा आजार शक्यतो लहानपणी किंवा पौगंडावस्थेत सुरु होतो. याची लक्षणे म्हणजे मूत्रविसर्जनावेळी लघवीवाटे रक्त पडणे. ८. किडनी फेल होणे (Kidney failure) किडनी फेल होणे म्हणजे मूत्रपिंडाचे काम हे १००% हुन १०% वर येणे. यात ५ स्टेज असतात ज्यात सुरुवातीच्या ४ टप्प्यात काहीच लक्षणे दिसून येत नाहीत. ज्यावेळी किडनी पूर्णतः काम करणे बंद करते तेंव्हाच लक्षणे दिसण्यास सुरुवात होते. लक्षणे :- भूक न लागणे उलट्या तीव्र शारीरिक थकवा अंगावर सूज येणे निद्रानाश डायलिसिस म्हणजे काय? (What is dialysis?) आपल्या रक्तात साठून राहिलेल्या टॉक्सिन्स ला बाहेर काढण्याच्या प्रक्रियेला डायलिसिस म्हणतात. किडनीचे मुख्य कामच रक्तातील दूषित पदार्थ बाहेर टाकण्याचे आहे. ज्यावेळी किडनी हे काम नैसर्गिक रित्या करू शकत नाही त्यावेळी आपलयाला डायलिसिस ची गरज पडते . ज्यावेळी किडणीचे फंक्शनिंग हे १००% हुन १० टक्क्यांवर येते तेंव्हा डायलिसिस करावे लागते. डायलिसिस हे दोन प्रकारचे असतात. (Dialysis is of two types) 1. Hemodialysis – Hemodialysis याचा अर्थ रक्तातील Dialysis. Hemodialysis – Hemodialysis means dialysis of blood. या प्रक्रियेमधे शरीरातील दूषित पदार्थ बाहेर टाकले जातात. या मधे एक नलिका रुग्णाच्या vein मध्ये टाकली जाते. नलिकेच्या एका टोकातून रक्त बाहेर काढले जाते जे filter मधून pass होते आणि शुद्ध केलेले रक्त परत दुसऱ्या टोकातून आपल्या शरीरात जाते .ही प्रक्रिया ४ ते ६ तासांची असते. ज्या रुग्णाची किडणी १०% पेक्षा कमी काम करत असेल तर त्या रुग्णाला आठवड्यातून २-३ वेळा dialysis करावे लागते . या प्रकारचं डायलिसिस हे बहुतेक वेळा कायम स्वरूपाचे असते . 2. Peritoneal Dialysis – Peritoneal डायलिसिस म्हणजे पाण्याचा Dialysis. Peritoneal Dialysis – Peritoneal dialysis means Dialysis of water. या प्रकारच्या डायलिसिस मध्ये बेंबी च्या खाली एक छिद्र केले जाते आणि त्यामधून एक catheter शरीरात टाकल्या जातो. जवळ पास एक विशीष्ठ प्रकारचे 2 लिटर पाणी हे या catheter च्या माध्यमातून पोटात सोडले जाते. या पाण्याद्वारे Peritoneal कॅव्हिटी ला लागून ज्या रक्तवाहिन्या असतात त्यामधून दूषित पदार्थ शोषून घेल्या जाते . हे पाणी आत जाण्यासाठी १० ते १५ मिनिटांचा कालावधी लागतो. पाणी आत गेल्यानंतर हे पाण्याची पिशवी catheter पासून disconnect करतो. पुढचे ४ ते ६ तास हे पाणी आत असते. ४ ते ६ तासानी हे पाणी शरीरा बाहेर काढले जाते. ज्यावेळी हे पाणी बाहेर काढले जाते त्यावेळी peritoneal dialysis catheter cost of dialysis ला पुन्हा रिकामी पिशवी जोडून ते पाणी बाहेर काढावे लागते. Hemodialysis हे आठवड्यातून २ ते ३ वेळा करावे लागते तर Peritoneal dialysis दिवसातून २ ते ३ वेळा करावे लागते . जर Peritoneal dialysis चे योग्य प्रशिक्षण घेतले तर
जाणून घेऊया ऑन्कोलॉजी म्हणजे काय ? ऑन्को शब्दाचा अर्थ काय आहे? ऑन्कोलॉजी ची वैशिष्ट्ये काय आहेत?
जाणून घेऊया ऑन्कोलॉजी म्हणजे काय ? प्रस्तावना: Introduction: ऑन्कोलॉजी म्हणजे कर्करोगाचा म्हणजेच कॅन्सर चा अभ्यास करणारी शाखा. ऑन्कोलॉजी हा शब्द एकत्रित अशा फॉर्म मध्ये वापरला जातो. या संयुक्तिक शब्दांच्या निर्मितीमध्ये वापरला जाणारा “ट्यूमर”, “वस्तुमान” म्हणजेच एकत्रित रूप. ऑन्कोलॉजी हा शब्द ऑन्कोजेनिक किंवा वस्तुमान या ग्रीक शब्दापासून आलेला आहे. ऑन्कोलॉजी या मेडिकल फिल्ड मध्ये कर्करोगाचे संशोधन, त्याची जोखीम आणि प्रतिबंध, कर्करोगाचे निदान, उपचार आणि बचाव यांचा समावेश केला गेलेला आहे. ऑन्कोलॉजीमध्ये काय केले जाते तर निष्णात तज्ञ कर्करोगाचा धोका असणाऱ्या रुग्णाला किंवा कर्करोगावर उपचार घेत असलेल्या रुग्णांची योग्यप्रकारे काळजी घेतात. तसेच उपचारानंतरही कर्करोगाने ग्रस्त अशा लोकांची काळजी घेतात. म्हणजेच एकत्रितपणे, या तज्ञांना कॅन्सर ची काळजी घेणारी टीम असे म्हटले जाऊ शकते . ऑन्कोलॉजि म्हणजे काय? What is Oncology? ऑन्कोलॉजिस्ट हा एक विशेषज्ञ डॉक्टर असतो ज्याला कर्करोग असलेल्या लोकांना ओळखण्यासाठी, निदान करण्यासाठी आणि उपचार करण्यासाठी प्रशिक्षण दिले जाते. ऑन्कोलॉजिस्ट शरीराच्या वेगवेगळ्या भागात वेगवेगळ्या प्रकारच्या कर्करोगाचे निदान आणि उपचार करतात. तुमचं निदान झाल्यापासून ते तुमच्या फॉलो-अप नंतर उपचार होईपर्यंत ऑन्कोलॉजिस्ट तुमच्या कर्करोगाच्या उपचाराचा भाग असेल. ऑन्को शब्दाचा अर्थ काय आहे? What does the word Onco mean? ऑन्कोलॉजी हा शब्द ऑन्कोजेनिक किंवा वस्तुमान या ग्रीक शब्दापासून आलेला आहे. ऑन्कोलॉजी ही मेडिकल फिल्ड मधील अशी शाखा आहे जी कर्करोगाचे निदान आणि उपचार करण्यात निष्णात असते. ऑन्कोलॉजी ची वैशिष्ट्ये (Characteristics of Oncology) वैद्यकीय ऑन्कोलॉजिस्ट केमोथेरपी, इम्युनोथेरपी आणि लक्ष्यित थेरपीसह औषधे वापरून कर्करोगावर उपचार करतात . रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट रेडिएशन थेरपीचा वापर करून कर्करोगावर उपचार करतात, जे कर्करोगाच्या पेशी नष्ट करण्यासाठी उच्च-ऊर्जा क्ष-किरण किंवा इतर किरणांचा वापर करतात आपण ऑन्कोलॉजिस्टला कधी भेटावे? When should you see an oncologist? ऑन्कोलॉजिस्ट हा एक डॉक्टर असतो जो कर्करोगाचे निदान आणि उपचार करण्यात माहिर असतो. खूप जास्त थकवा, अनपेक्षित रित्या वजन कमी होणे, अस्पष्ट वेदना यासारखे कोणतेही असामान्य आरोग्य बदल अनुभवल्यास , तुम्ही ताबडतोब वैद्यकीय व्यावसायिकांना भेटावे. ऑन्कोलॉजीचे किती प्रकार आहेत? ऑन्कोलॉजी चे तीन मुख्य विभाग आहेत : वैद्यकीय ऑन्कोलॉजी: वैद्यकीय ऑन्कोलॉजी ही केमोथेरपी, लक्ष्यित थेरपी, इम्युनोथेरपी आणि हार्मोनल थेरपीसह कर्करोगाच्या उपचारांवर लक्ष केंद्रित करते. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी: सर्जिकल ऑन्कोलॉजी ही शस्त्रक्रियेद्वारे कर्करोगाच्या उपचारांवर लक्ष केंद्रित करते. रेडिएशन ऑन्कोलॉजी: रेडिएशन ऑन्कोलॉजी ही रेडिएशनसह कर्करोगाच्या उपचारांवर लक्ष केंद्रित करते. ऑन्कोलॉजी क्षेत्रातील तीन प्रमुख क्षेत्रे कोणती आहेत? What are the three major areas of oncology? ऑन्कोलॉजीचा विचार केल्यास तीन प्रमुख क्षेत्रे आहेत: रेडिएशन, सर्जिकल आणि वैद्यकीय . रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट हे वैद्यकीय व्यावसायिक आहेत जे कर्करोगावर उपचार करण्यासाठी रेडिएशन वापरण्यात माहिर आहेत. ऑन्कोलॉजी महत्वाचे का आहे? Why is oncology important? कर्करोगाचे व्यवस्थापन करणे कठीण आहे, परंतु त्यावर उपचार करण्यात ऑन्कोलॉजी सर्वात महत्त्वाची भूमिका बजावते. कर्करोग तज्ज्ञ सर्वत्र कर्करोगाचा अभ्यास, प्रशिक्षण आणि जाणून घेण्यासाठी वेळ काढतात जेणेकरुन ते रोग असलेल्या रुग्णांना शक्य तितकी सर्वोत्तम काळजी देऊ शकतील. कोणाला ऑन्कोलॉजिस्टची गरज आहे? Who needs an oncologist? जेव्हा सर्वप्रथम आपण एखाद्या डॉक्टरांकडे जातो व डॉक्टरांना जर रुग्णाला कर्करोग असल्याची शंका आली तर डॉक्टर ऑन्कोलॉजिस्ट कडून तपासण्या करून घेण्याचा सल्ला देतात. प्रथम दर्शनी डॉक्टरांना दाखवल्या नंतर त्या डॉक्टरांना आलेल्या शंकेचे निरसन करण्यासाठी ऑन्कोलॉजीस्ट ला रुग्णाचे निदान करण्यासाठी वेगवेगळ्या निदान चाचण्या आणि प्रक्रिया कराव्या लागू शकतात. डॉक्टरांनी केलेल्या निदानाचे निरसन करण्यासाठी सीटी स्कॅन आणि एमआरआय, तसेच रक्ताच्या चाचण्या यांचा वापर केला जाऊ शकतो. सामान्य कर्करोग चाचण्या तुम्हाला आवश्यक असू शकतात. अष्टविनायक हॉस्पिटल मध्ये आमची टीम रुग्णाच्या स्थितीचे बिनचूक निदान तर करतेच परंतू त्याच बरोबर निरीक्षण करण्यासाठी अनेक चाचण्यांची शिफारस ही करू शकते. त्यामध्ये खालील काही सामान्य चाचण्यांचा समावेश आहे: बायोप्सी: कॅन्सरच्या पेशी रुग्णाच्या शरीरात उपस्थित आहेत की नाही हे ठरवण्यासाठी एक लहान ऊतक नमुना म्हणजेच मांसाचा एक छोटासा तुकडा रुग्णाच्या शरीरातून काढला जातो. सीटी स्कॅन: सीटी स्कॅन ही चाचणी ट्यूमरचा आकार आणि स्थान ओळखण्यास उपयोगी येते. एमआरआय स्कॅन: समस्या शोधण्यात मदत करण्यासाठी शरीराच्या तपशीलवार प्रतिमा प्रदान करते. पीईटी स्कॅन: किरणोत्सर्गी पदार्थाच्या थोड्या प्रमाणात वापर करून शरीरातील कर्करोगाच्या पेशी ओळखण्यास मदत करते. रक्त चाचण्या: कर्करोगाचे जंतू शोधण्यासाठी किंवा शरीराच्या एकूण आरोग्यावर लक्ष ठेवण्यासाठी वापरले जाते. एंडोस्कोपी: अंतर्गत अवयव पाहण्यासाठी आणि कोणतीही असामान्य वाढ शोधण्यासाठी शरीरात एक पातळ ट्यूब घातली जाते. अष्टविनायक हॉस्पिटलमध्ये, आमची प्रगत निदान साधने कर्करोगाची वेळेवर आणि अचूक ओळख सुनिश्चित करतात, ज्यामुळे त्वरित उपचार मिळू शकतात. अष्टविनायक रुग्णालयात ऑन्कोलॉजीसाठी मिळणाऱ्या सेवा: Services available for Oncology at Ashtavinayak Hospital: अष्टविनायक हॉस्पिटल येथे आमचा ऑन्कोलॉजी विभाग कर्करोगावरील उपचार आणि सेवांची विस्तृत अशी श्रेणी ऑफर करतो, रुग्णांना शक्य तितकी सर्वोत्तम अशी सेवा मिळेल याची वेळोवेळी खात्री देखील केली जाते. यात खालील सेवांचा समावेश आहे: कॅन्सर स्क्रीनिंग: लवकरात लवकर कॅन्सर चे निदान होणे रुग्णाच्या आरोग्यासाठी अत्यंत महत्त्वाचे आहे. कॅन्सर अगदी सुरुवातीच्याच टप्प्यावर शोधण्यासाठी अष्टविनायक हॉस्पिटल येथे आम्ही विविध प्रकारच्या स्क्रीनिंग चाचण्या देतो. केमोथेरपी: केमोथेरपी हि एक अशी उपचार पद्धती आहे ज्यामध्ये कर्करोगाच्या पेशींना मारण्यासाठी किंवा वाढण्यापासून रोखण्यासाठी प्रभावी अशी औषधे वापरली जातात. रेडिएशन थेरपी: रेडिएशन थेरपी नावाच्या या उपचार पद्धतीमध्ये उच्च-ऊर्जा रेडिएशन सोबत कर्करोगाच्या पेशींना लक्ष्य करते आणि मारते. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी: अष्टविनायक हॉस्पिटल येथे आमचे कुशल सर्जन ट्यूमर काढून टाकण्यासाठी आणि रुग्णांचे परिणाम सुधारण्यासाठी कर्करोगाशी संबंधित शस्त्रक्रिया करतात. इम्युनोथेरपी: ही एक अत्याधुनिक उपचार पद्धती आहे ज्यामुळे कर्करोगाच्या पेशींशी अधिक प्रभावीपणे लढा देण्यासाठी रोगप्रतिकारक शक्ती मजबूत होते. उपशामक काळजी: अष्टविनायक हॉस्पिटल येथे आम्ही निष्णात तज्ज्ञांद्वारे रुग्णाची काळजी घेतो. जी अतिशय प्रगत अशी सुविधा आहे तीच देण्याचा व कर्करोग असलेल्या लोकांच्या जीवनाची गुणवत्ता कशी सुधारेल यावर लक्ष केंद्रित करते. अष्टविनायक रुग्णालयात कर्करोगावर होणारे उपचार Cancer Treatment at Ashtavinayak Hospital: मुंबई मधील सर्वात चांगले असे ऑन्कोलॉजी सेंटर असणारे अष्टविनायक हॉस्पिटल हे खालील प्रकारच्या कर्करोगांवर इलाज करते . ब्रेस्ट कॅन्सर कोलोरेक्टर कॅन्सर सर्वीकल कॅन्सर लंग कॅन्सर म्हणजेच फुफुसांचा कॅन्सर बोन कॅन्सर म्हणजेच हाडांचा कॅन्सर स्किन कॅन्सर (त्वचेचा कॅन्सर) प्रोस्टेट कॅन्सर मान आणि डोक्याचा कॅन्सर ब्लड कॅन्सर कर्करोग कसा टाळावा? How to prevent cancer? उपचारापेक्षा कोणत्याही गोष्टीला प्रतिबंध करणे हे नेहमीच चांगले असते, आणि कर्करोग होण्याचा धोका कमी करण्यासाठी अनेक मार्ग आहेत: तंबाखू टाळा: धूम्रपान करणे हे कॅन्सर चे प्रमुख कारण आहे. तंबाखूचे सेवन न करण्याने तुमचा कर्करोग होण्याचा धोका लक्षणीयरीत्या कमी होतो. निरोगी आहार घ्या: आपल्या रोजच्या आहारामध्ये फळे, भाज्या, संपूर्ण धान्य आणि पातळ प्रथिने यांचा समावेश करावा. नियमितपणे व्यायाम करा: निरोगी वजन राखण्यासाठी दररोज किमान 30 मिनिटे शारीरिक हालचाली करा. व्यायामात कसूर करू नये. अल्कोहोलचे मर्यादित सेवन करावे: जास्त प्रमाणात मद्यपान केल्याने तुम्हाला विशिष्ट प्रकारच्या कर्करोगाचा धोका वाढू शकतो. शक्यतो अल्कोहोलचे (दारूचे) सेवन करणे टाळावेच. तुमच्या त्वचेचे रक्षण करावे : त्वचेचा कर्करोग होऊ न देण्यासाठी सनस्क्रीनचा वापर करावा आणि अतिनील किरणांच्या जास्त संपर्कात येणे टाळावे. निष्कर्ष (conclusion) : ऑन्कोलॉजिस्ट हा एक विशेषज्ञ डॉक्टर असतो ज्याला कर्करोग
जाणून घेऊया लॅपरोस्कोपी म्हणजे काय ? का व कशी केली जाते? तसेच लॅपरोस्कोपी शस्त्रक्रियेचे फायदे व सुरक्षितता.
जाणून घेऊया लॅपरोस्कोपी म्हणजे काय ? का व कशी केली जाते? तसेच लॅपरोस्कोपी शस्त्रक्रियेचे फायदे व सुरक्षितता. प्रस्तावना (Introduction) मानवाचे आरोग्य हे त्याची सर्वात मोठी संपत्ती आहे. त्यामुळेच म्हणले जाते “आरोग्यम् धनसंपदा”. असे म्हणले जाते की ज्या व्यक्तीचे पोटाचे आरोग्य चांगले असते ती व्यक्ती निरोगी असते. पोटाचे आरोग्य चांगले आहे हे आपल्याला सहजा सहजी कळत नाही. वर वर चांगले दिसणारे आरोग्य हे कधी कधी मोठ्या आजारांना निमंत्रण देते. पण पोटात झालेलं आजार हे वर पाहता दिसून येत नाहीत. त्यासाठी अंतर्गत तपासणी करावी लागते. व ही तपासणी म्हणजेच लॅपरोस्कोपी. आजच्या या ब्लॉग मध्ये जाणून घेऊया जाणून घेऊया लॅपरोस्कोपी म्हणजे काय ? का व कशी केली जाते? तसेच लॅपरोस्कोपी शस्त्रक्रियेचे फायदे व सुरक्षितता. लॅपरोस्कोपी म्हणजे काय? (What is Laparoscopy?) लॅपरोस्कोपी म्हणजे दुर्बिणीद्वारे केली जाणारी पोटाची तपासणी व शस्त्रक्रिया. पूर्वी पोटाची कोणत्याही प्रकारची शस्त्रक्रिया हि पोट उघडून केली जायची. त्यामुळे पेशंटला म्हणजेच रुग्णाला बरेच टाके द्यावे लागायचे परिणामी रुग्णाला बराच त्रास होत असे व बराच काळ दवाखाण्यात राहावे लागायचे. पण आता लॅपरोस्कोपी मुळे ही सर्व प्रक्रिया आता खूप सुलभ आणि सुकर झाली आहे. दुर्बिणीद्वारे होणारी ही शस्त्रक्रिया रुग्णाच्या वेदना तर कमी करतेच परंतु त्याचे दवाखान्यातील वास्तव्य देखील कमी करते. लॅपरोस्कोपी (दुर्बिणीद्वारे) शस्त्रक्रियेमध्ये पोटाला लहानसा छेद करावा लागतो त्यामुळे रुग्णाला खूप कमी वेदना होतात. लॅपरोस्कोपी का करतात ? (Why do laparoscopy?) लॅपरोस्कोपी ही एक अशी शस्त्रक्रिया आहे की ज्याद्वारे पोटाच्या आतील अवयवांची तपासणी केली जाते व ऑपरेशन देखील केले जाते. लॅपरोस्कोपी या शस्त्रक्रियेचा उपयोग हा आजाराच्या निदानासाठी, पोटातील अंतर्गत अवयव पाहून किंवा बायोप्सी करून केला जाऊ शकतो. लॅपरोस्कोपी ही एकाच वेळी आजाराचे निदान करून शस्त्रक्रियेद्वारे समस्येवर उपचार करण्यासाठी केला जातो. लॅपरोस्कोपी कशी करतात ? (How is laparoscopy done?) लॅपरोस्कोपी ही नेहमी एका निष्णात सर्जन कडूनच करावी. लॅपरोस्कोपी करताना सर्वप्रथम रूग्णाला सामान्य भूल दिली जाते. त्यानंतर सर्जन रुग्णाच्या नाभी जवळ एक इंच लांब किंवा त्याही पेक्षा लहान असा छेद करतो. केलेल्या छेदाद्वारे शल्यचिकित्सक हा लांब व पातळ अशी ट्यूब रुग्णाच्या पोटा मध्ये सोडतो. या ट्यूबलाच लॅप्रोस्कोप असे म्हणतात. या ट्यूब ला एक कॅमेरा जोडलेला असतो जो की बाहेर मॉनिटरशी अटॅच केलेला असतो. हा कॅमेरा तुमच्या पोटाच्या आतील भागाचे निरीक्षण करून त्याचे फोटो हे बाहेर असलेल्या मॉनिटर वर पाठवतो. या फोटोंच्या आधारेच शल्यचिकित्सक रुग्णाच्या आजाराचे निदान व उपचार करतो. लॅपरोस्कोपी द्वारे उपचार केले जाणारे आजार (Diseases treated by laparoscopy) लॅपरोस्कोपी द्वारे पोटाच्या आतील विविध आजारांचे निदान व उपचार केले जातात. पुढे काही आजारांची नावे दिलेली आहेत ज्यांची लॅप्रोस्कोपी केली जाते. बॅरिएट्रिक शस्त्रक्रिया हायटस हर्निया इनगिनल हर्निया हेपेटोबिलरी स्वादुपिंडाचा आजार स्त्रीरोगविषयक शस्त्रक्रिया या आजचे निदान व उपचार लॅपरोस्कोपी द्वारे केले जातेच परंतु याशिवाय कोलोरेक्टल कॅन्सर, जठराचा कॅन्सर, लहान व मोठ्या आतडीचा कॅन्सर, गर्भपिशवीचा कॅन्सर, पित्ताशयाचा कॅन्सर, स्वादुपिंडाचा कॅन्सर, किडनीचा कॅन्सर, लिव्हरचा कॅन्सर, मूत्राशयाचा कॅन्सर यांसारख्या व इतर अवयवांवर देखील लॅप्रोस्कोपी द्वारे शस्त्रक्रिया करण्यात येते. लॅपरोस्कोपी का केली जाते? (Why is laparoscopy performed?) लॅपरोस्कोपी शस्त्रक्रियेचा वापर हा बहुतेक करून आतड्यांसंबंधी असणाऱ्या शस्त्रक्रिया करण्यासाठी केला जातो. यामध्ये विविध प्रकारच्या शस्त्रक्रियांचा समावेश आहे. खाली काही शस्त्रक्रियांची उदाहरणे दिली आहेत. क्रॉन्स डिसीज अल्सरेटिव्ह कोलायटिस डायव्हर्टिकुलिटिस कॅन्सर रेक्टल प्रोलॅप्स गंभीर बद्धकोष्ठता या अशा विविध शस्त्रक्रियांचा समावेश हा लॅप्रोस्कोपी मध्ये केलेला आहे. लॅपरोस्कोपीमुळे निदान होणारे काही आजार (Some diseases diagnosed by laparoscopy) लॅपरोस्कोपी ही फक्त शस्त्रक्रिया च नाहीए तर त्यामुळे पोटाची अंतर्गत तपासणी देखील केली जाते. त्यामुळे पोटाच्या विकारांचे निदान होते. खाली काही विकारांची नावे दिली आहेत ज्यांची लॅपरोस्कोपीमुळे निदान होते. एंडोमेट्रिओसिस गर्भाशयाच्या फायब्रॉइड्स डिम्बग्रंथि सिस्ट किंवा ट्यूमर एक्टोपिक गर्भधारणा ओटीपोटात पस होणे वंध्यत्व म्हणजेच इन्फर्टिलिटी ओटीपोटाचे आजार कर्करोग लॅपरोस्कोपी शस्त्रक्रियेचे फायदे (Advantages of laparoscopy surgery) लॅपरोस्कोपी ही फक्त शस्त्रक्रिया च नाहीए तर त्यामुळे पोटाची अंतर्गत तपासणी देखील केली जाते. त्यामुळे पोटाच्या विकारांचे निदान होते. खाली काही विकारांची नावे दिली आहेत ज्यांची लॅपरोस्कोपी निदान होते. जसे आपण वरती पाहिले की लॅपरोस्कोपी या शस्त्रक्रियेमुळे शरिराला कमीत कमी छेद दिल्या जातो. त्यामुळे रुग्णाला लवकर आराम मिळतो व तो दैनंदिन कामास शक्य तितक्या लवकर सुरुवात करू शकतो. या शस्त्रक्रियेचे काही वाखाणण्या जोगे फायदे आहेत. ते फायदे आपण पाहू. लॅपरोस्कोपी रुग्णाचा रक्त्तस्त्राव कमी होतो. फुफ्फुसाचे कार्य अधिक चांगल्या प्रकारे होते. आतड्यांचे कार्य योग्यपद्धतीने चालते. शस्त्रक्रिया झाल्यानंतर कमी वेदना जाणवतात. जखम लवकरात लवकर भरुन येते. शस्त्रक्रियेनंतर रुग्णाला जास्त दिवस रुग्णालयात राहावे लागत नाही. रुग्णाच्या प्रकृतीत लवकर सुधारणा होऊन दैनंदिन काम करु शकतो. ओपन शस्त्रक्रियेच्या तुलनेत लॅपरोस्कोपी नंतर रुग्णाला संसर्गाचा धोका होण्याची शक्यता कमी असते. लॅपरोस्कोपी सुरक्षित आहे का? (Is laparoscopy safe?) लॅपरोस्कोपि ही शस्त्रक्रिया पारंपारिक ओपन सर्जरी एवढीच सुरक्षित आहे . लॅपरोस्कोपि च्या सुरूवातीस, पोटाच्या नाभी जवळ (अंबिलिकस) लहान चीर दिली जाते. व त्या व्दारे रुग्णाच्या पोटामध्ये लॅपरोस्कोप सोडला जातो. लॅपरोस्कोपि ही सुरक्षितपणे होऊ शकते की नाही हे निर्धारित करण्यासाठी शल्यचिकित्सक सुरुवातीला पोटाची संपूर्णपणे तपासणी करून घेतो. लॅपरोस्कोपी आणि परंपरागत शास्त्रक्रियेतील फरक. (Differences between laparoscopy and conventional surgery) पारंपारिक शस्त्रक्रिया म्हणजेच ज्याला ओपन सर्जरी म्हणूनही ओळखले जाते, शस्त्रक्रियेचा हा प्रकार शतकानुशतके मेडिकल फिल्ड मध्ये वापरल्या जात आहे. यात शस्त्रक्रिया करण्याच्या नेमक्या भागावर पोहोचण्यासाठी मोठ्या प्रमाणात शरीराला चीरे देणे समाविष्ट आहे. दुसऱ्या बाजूला, 20 व्या शतकाच्या उत्तरार्धात सुरू झालेल्या लेप्रोस्कोपि या शस्त्रक्रियेमध्ये शरीराला लहान चीरे करणे आणि त्याद्वारे शस्त्रक्रिया करण्यासाठी शरीराद्वारे कॅमेरा आणि विशेष उपकरणे सह्रीरामध्ये सोडणे समाविष्ट आहे. लॅपरोस्कोपी आणि पारंपरिक शस्त्रक्रियेमध्ये असणारे कमी ठळक फरक आपण पाहुयात. ते खालील प्रमाणे आहेत. तंत्र आणि प्रक्रिया (Techniques and Procedures) लॅपरोस्कोपी हि लहान अशा दुर्बिणीद्वारे केली जाते तर ओपन सर्जरी मध्ये शरीराला चिरा दिल्या जातात. ज्यामुले झालेल्या जखमा भरून येण्यासाठी वेळ लागतो. पूर्ववत होण्यासाठी लागणार वेळ आणि रुग्णालयात मुक्काम (Recovery time and hospital stay) लॅपरोस्कोपीमुळे रुग्णाला कमी वेदना होतात व कमी चिरफाड असल्यामुळे रिकव्हरी देखील लवकर होते परिणामी रुग्णाला असत काळ रुग्णालयात राहावे लागत नाही व दैनंदिन कामकाजास लवकरात लवकर सुरुवात करता येते. जोखीम आणि गुंतागुंत (Risks and complications) लॅपरोस्कोपि मध्ये लहान लहान चीरा असतात त्यामुळे संसर्ग आणि हर्निया यासारखी गुंतागुंत होण्याचा धोका कमी असतो. पारंपारिक शस्त्रक्रिया म्हणजेच ओपन सर्जरी ही अधिक आक्रमक असून ही ,त्यात असणारी जोखीम ही रुग व सर्जन यादोघांनाही माहिती असते. तसेच ही एक सुस्थापित पद्धती आहे. विविध फिल्ड मध्ये अनुभव असणाऱ्या सर्जन्स ने ही पद्धती स्वीकारली आहे. पेशंटचे परिणाम आणि समाधान (Patient outcomes and satisfaction) तज्ज्ञांच्या अभ्यासा अंती असे निदर्शनास आले आहे की लॅपरोस्कोपिक शस्त्रक्रिये नंतर रुग्णाला आरोग्यात होणारे परिणाम आणि समाधान सामान्यतः जास्त आहे. शस्त्रक्रिये नंतर कमी डाग, दानदिन कामे लवकर सुरु होणे आणि शस्त्रक्रियेनंतर होणारी वेदना पातळी कमी होते. पारंपारिक शस्त्रक्रिया, ही प्रभावी आहे परंतु , रुग्णाला बरे होण्यास जास्त कालावधी लागतो व शरीरावर शस्त्रक्रियेचे